Description
‘यादों के तरु’ में मैंने कविताओं के माध्यम से जीवन के प्रत्येक पहलू को स्पर्श करने का प्रयास किया है। कोई कविता प्रेम को परिभाषित करती है.. कोई बचपन की गलियों में विचरण करती प्रतीत होती है… कभी कविता प्रेरणा संगीत बनकर जीवन को आशा से पूर्ण करती है… कभी इसके विपरीत कविता जीवन का दुःख और विषाद व्यक्त करती है… अधिकाँश कविताएँ मैंने अपनी प्राण-प्रिय माँ के चरण कमलों में अर्पित की हैं। इस संसार में एक से एक उत्कृष्ट रचनाकार हैं। किंतु चंद व्यक्ति ही साहित्य के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने में सफल होते हैं। जैसे रेगिस्तान में खिलने वाले दुर्लभ पुष्प अपनी सुगंध बिखेरकर मुरझा जाते हैं। जग उनकी महक से अनभिज्ञ रहता है। वैसे ही कुछ प्रतिभाशाली व्यक्ति अपनी प्रतिभा से इस जग को सुगंधित करने में असमर्थ होते हैं, क्योंकि उन्हें पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाता है। – प्रीति चौधरी ‘मनोरमा’ (लेखिका)
About the Author
उत्तर प्रदेश के जिला बुलन्दशहर में 05 अगस्त, 1985 को जन्मीं लेखिका प्रीति चौधरी ‘मनोरमा’ वर्तमान में अध्यापन के क्षेत्र में कार्यरत हैं। उन्होनें बी.ए., एम.ए., बी.एड., विशिष्ट बी.टी.सी. आदि शैक्षिक उपाधियाँ प्राप्त की हैं। लेखिका की कई साझा संग्रह में रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें आखर कुँज, स्वरांजलि, रत्नावली, मैं निःशब्द हूँ, हे भारत भूमि, उन्मुक्त परिंदे, नवकिरण, काव्य सृष्टि, शब्दों के पथिक हैं। आपको साहित्य शिरोमणि सम्मान, स्वामी विवेकानंद साहित्य सम्मान, माँ वीणापाणि साहित्य सम्मान आदि प्रमुख साहित्यिक उपाधियों से नवाज़ा जा चुका है।
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