Description
महाकवि कालिदास ने अपने विश्व-प्रसिद्ध नाटक ‘अभिज्ञान शाकुंतलम्’ में शकुंतला को ‘अनाघ्रात पुष्प’ कहा है। वास्तव में हर कवि की पहली कविता-पुस्तक समाज के लिए अनाघ्रात पुष्प के समान ही सुन्दर और सम्मोहक होती है। यही गंध कवि की पहचान भी बनती है जो उसे पाठकों के हृदय में सदा-सर्वदा के लिए स्थापित कर देती है। युवा कवि डॉ. दीपक कुमार ‘दीप’ की पहली पुस्तक ‘मैं, तुम और इश्क़’ अनछुई प्रेमानुभूतियों की कोमल अभिव्यक्ति का एक हृदय-स्पर्शी उदाहरण प्रस्तुत करती है। प्यार हो, प्रेम हो, इश्क़ हो सबका दर्द बस ढाई अक्षरों में समाहित है। पुस्तक तीन खण्डों में विभक्त है। प्रथम खण्ड में एक प्रेमी के विरह भावों को व्यक्त करने की कोशिश की है। द्वितीय खण्ड में प्रेमिका के विरह भावों को व्यक्त करने की आरज़ू में कुछ कविताओं का सृजन किया गया है तथा तृतीय खण्ड में कुछ मुक्तक पेश किए गए हैं।
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